दरोगा का अपहरण, आईईडी विस्फोट में आईटीबीपी का एक जवान घायल

दरोगा का अपहरण, आईईडी विस्फोट में आईटीबीपी का एक जवान घायल

बीजापुर
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने बुधवार को एक पुलिस सब इंस्पेक्टर का अपहरण कर लिया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अपहरण किए गए दरोगा की देर रात तक तलाश जारी थी, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। उधर, नारायणपुर जिले में गश्त के दौरान नक्सलियों द्वारा बिछाए गए आईईडी बम की चपेट में आकर आईटीबीपी का एक जवान घायल हो गया।

बीजापुर के पुलिस अधीक्षक कमलोचन कश्यप के मुताबिक, पुलिस लाइन जगदलपुर में तैनात सब इंस्पेक्टर मुरली ताती गंगालूर थाना क्षेत्र में अपने गांव पालनार आ रहे थे। उनके गांव में एक मेले का आयोजन किया गया है। इसी मेले में शामिल होने के लिए मुरली गांव आए थे। करीब दो साल पहले प्रोन्नति पाकर दरोगा बने मुरली को मेले में पहुंचने से पहले ही नक्सलियों ने अगवा कर लिया।

एसपी कश्यप ने कहा कि अपहृत दरोगा की तलाश में पुलिस टीमों को लगाया गया है। बता दें कि इसी क्षेत्र में करीब 15 दिन पहले सुरक्षा बलों पर जबरदस्त हमला करके नक्सलियों ने 22 जवानों को शहीद कर दिया था। उस मुठभेड़ में भी नक्सलियों ने सीआईएसएफ के एक सब इंस्पेक्टर का अपहरण कर लिया था, हालांकि बाद में उसे रिहा कर दिया गया था।

उधर, नारायणपुर जिले में बुधवार सुबह गश्त पर निकली पुलिस और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की संयुक्त टीम एक जगह आईईडी धमाके में गाय मरने की सूचना मिलने पर बासिंग थाना क्षेत्र के कुंदला में मौके पर पहुंची। टीम वहां आसपास और आईईडी बम की तलाश कर रही थी। इसी दौरान आईटीबीपी की 53वीं बटालियन के इंस्पेक्टर सुनील सिंह सुथवाल का पैर एक आईईडी (प्रेशर बम) पर आ गया और उसमें विस्फोट हो गया। नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक नीरज चंद्रकार ने बताया कि घायल सुनील कुमार को इलाज के लिए रायपुर भेजा गया था, जहां उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।

नक्सलियों ने पर्चे बांटकर किया अपने ऊपर ड्रोन हमले का दुष्प्रचार
नक्सलियों ने बुधवार को पर्चे बांटकर केंद्रीय और राज्य सुरक्षा बलों पर अपने खिलाफ संयुक्त अभियान में ड्रोन विमानों से एयर स्ट्राइक करने का दुष्प्रचार किया। नक्सली संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने अपने बयान वाले पर्चों में दावा किया कि 19 अप्रैल को बीजापुर जिले के दो गांवों के करीब ड्रोन विमानों से 12 बम गिराए।

नक्सली संगठन ने अपने दावे की पुष्टि के लिए कुछ फोटोग्राफ भी जारी किए, जिनमें बम गिरने के कारण हुए गड्ढे दिखाई देने की बात कही गई। हालांकि नक्सलियों ने यह भी कहा कि उनके पहले ही जगह बदल लेने के कारण यह एयर स्ट्राइक नाकाम रही और उनका कोई सदस्य नहीं मारा गया। उधर, आईजी पुलिस बस्तर रेंज पी सुंदरराज ने नक्सलियों के दावों को निराधार बताते हुए खारिज किया।

उन्होंने कहा कि इससे माओवादी कैडरों के बीच फैली घबराहट और डर सामने आ रही है। बस्तर में सुरक्षा बल अपने अभियान कानूनी दायरे में रहते हुए इस इकलौते लक्ष्य के साथ चला रहे हैं कि स्थानीय आबादी को किसी तरह का जान-माल का नुकसान नहीं होना चाहिए। ऐसे में हवाई हमले की बात बेबुनियाद है। बता दें कि बस्तर के जंगल इतने घने हैं कि सुरक्षा विशेषज्ञ पहले ही किसी भी तरह के हवाई हमले की संभावना को खारिज कर चुके हैं।

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